Varanasi Me Ghumne Ki Jagah : दुनिया का सबसे प्राचीन शहर वाराणसी शहर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। वाराणसी(Varanasi) में देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी लाखो की तादात में पर्यटक घुमने (Banaras me ghumne ki jagah) और यहाँ कि संस्कृति को और करीब से समझने के लिये आते है।

काशी जिसके बारे मे ऐसा कहा जाता है कि यह पूरी नगर भगवान शिव जी के त्रिशूल पर है ।वैसे तो काशी को मंदिरो का शहर कहने के पीछे के कारण यह भी है की यहां बहुत से मंदिर है । Varanasi शहर के पुराने इलाकों में शायद ही कोई ऐसा मकान हो जिसके घर के बाहर छोटा ही सही पर मंदिर जरूर होगा।
Varanasi के भगवान शिव को सम्रपित काशी विश्वनाथ मंदिर ,जो की देश के 12 जोतिर्लिंगो मे से एक होता है ।वाराणसी (Varanasi) के पास ही सारनाथ है जहाँ पर भगवान गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था ।
State | UP |
Population OF Varanasi as on 2011 | 3,676,841 |
Total Area OF Varanasi | 1,535 km |
PINCODE OF Varanasi | 221001 |
वाराणसी(Varanasi) जहाँ माँ भगवती गंगे माँ बहती है , उनके किनारो पर कुल 84 घाट स्थित है । जिनमे मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट और दशाश्वमेध घाट सबसे प्रमुख और पवित्र घाट में से एक है ।
मंदिरों और घाटों के अलवा बनारस के लोग खाने-पीने के शौकिन होते है । यह शहर है बनारसी साड़ी और बनारसी पान का भी जो पुरे दुनिया में प्रसिद्ध है ।
Table of Contents
वाराणसी का इतिहास

काशी जिसका उल्लेख हिन्दुओं के सबसे पुराने धर्म ग्रन्थ ‘रिग वेद’ मे भी मिलता है।इस नगर कि स्थापना भगवान शिव ने लगभग 5000 साल पूर्व कि थी । पुराने मान्यताओ के अनुसार यह शहर भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान हुआ करता था । ऐसा भी कहा जाता है की वाराणसी शहर भगवान शिव के त्रिशूल के ऊपर स्थित है ।
वाराणसी कैसे पहुँचे (How To Reach Varanasi In Hindi)
वाराणसी आप कैसे पहुंच सकते है के बारे में बतायेगे —
- रेल के माध्यम से वाराणसी पहुँचे
- हवाई जहाज से वाराणसी कैसे पहुँचे
- हाईवे के माध्यम से वाराणसी पहुँचे
हवाई जहाज से वाराणसी कैसे पहुँचे : वाराणसी में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जहाँ से भारत के अन्य भाग के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय हवाई जहाज की सेवा भी मिलती है । लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा वाराणसी के हवाई अड्डा का नाम है ।
रेल के माध्यम से वाराणसी पहुँचे : वाराणसी के कुल 3 बड़े रेल स्टेशन है । जो की भारत के सभी राज्य के साथ जुड़े हुए है । वाराणसी से दिल्ली के लिए भारत की सबसे तेज ट्रैन वन्दे भारत का भी परिचालन होता है । वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन, वाराणसी जंक्शन एंव मरुवाडीह स्टेशन ये सभी वाराणसी के रेलवे स्टेशन है जो की देश के अन्य राज्य से वाराणसी को जोड़ते है ।
हाईवे के माध्यम से वाराणसी पहुँचे : चुकी यह हाइवे से जुड़ा होने के कारण भी , अगर आप चाहे तो सड़क के माध्यम से भी आप वाराणसी आ सकते है । जिसके लिए आप या तो अपनी कार का इस्तेमाल करे या बस की सेवा का आनंद ले ।
Varanasi Me Ghumne Ki Jagah (बनारस में घूमने की जगह)
इस पोस्ट में वाराणसी के कुछ प्रसिद्ध पर्यटकों के घूमने लायक जगह के विषय में बतायेगे । कृपया पोस्ट को पूरा पढ़ पूरी जानकारी प्राप्त करे ।
- प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर
- तुलसी मानस मंदिर
- संकट मोचन मंदिर
- दुर्गा माता मंदिर
- अस्सी घाट वाराणसी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल
- मणिकर्णिका घाट वाराणसी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल
- रामनगर किला
- चुनार का किला
- सारनाथ का बौद्ध स्तूप
- बनारस मे प्रसिद्ध साड़ी की दुकान बनारस सिल्क एम्पोरियम
प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर (Varanasi Tourist Place In Hindi)
यह मंदिर हिन्दुओ के लिये सबसे पवित्र दर्शनीय स्थल में से एक है । यह मंदिर भगवान शिव का है ।सभी 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है । रोजाना तक़रीबन लाखो कि तादात मे श्रद्धालु आते है । पवित्र पावन माँ गंगा में स्नान कर मंदिर के दर्शन करने पर ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने के कारण मनुष्य को मोक्छ कि प्राप्ति होती है ।
तुलसी मानस मंदिर (Banaras me Ghumne Ki Jagah)
यह मानस मंदिर जो की वाराणसी से लगभग 5 किलोमीटर कि दुरी पर है । यह मंदिर पुरे सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है । यह एक भव्य मंदिर है इस मंदिर का निर्माण साल 1964 मे कलकाता के एक व्यापारी सेठ रत्नलाल ने करवाया था । इस मंदिर के दीवारों पर तुलसी दास जी द्वारा लिखी श्री रामचरितमानस लिखा हुआ है । यह मंदिर जिसमे प्रभु श्री राम, माता जानकी, हनुमानजी, माता अनुपूर्ण के साथ ही भगवान शिव के भी एक मंदिर है । दूसरी मंजिल पर महान संत तुलसी दास जी विराजमान है ।
संकट मोचन मंदिर (Varanasi Tourist Place In Hindi)
इस मंदिर का निर्माण कार्य पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने उनीस्वी सदी मे करवाया था । ऐसा भी माना जाता है कि संत तुलसीदास जी को इसी स्थान पर पहली बार हनुमानजी का सपना आया था जिसके बाद संत तुलसीदास जी ने यही पर हनुमानजी कि मूर्ति स्थापित कि थी बाद मे चलकर इसे संकट मोचन मंदिर नाम दे दिया गया । इस मंदिर को बंदरो का भी मंदिर कहा जाता है यहां पर बंदरो की संख्या बहुत अधिक है ।
दुर्गा माता मंदिर (Varanasi Tourist Place In Hindi)
यह मंदिर वाराणसी शहर के रामनगर मे स्थित माँ दुर्गा को सम्रपित होती है । इस मंदिर का निर्माण कार्य एक बंगाली महारानी ने अठारवी सदी मे करवाया था । लाल पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर मे माँ दुर्गा के अलावा बाबा भैरौनाथ, माँ काली, माँ लक्ष्मी एवं माँ सरस्वती कि प्रतिमा भी है ।
अस्सी घाट वाराणसी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल बनारस में घूमने की जगह
माँ गंगा के तट पर स्थित अस्सी घाट बनारस के 84 घाटों में से एक है । जिसके नाम की उत्पति अस्सी और गंगा नदी के संगम से हुई है । इस घाट के किनारे कई मंदिर स्थित है और उसी में एक बाबा जग्र्नाथ का मंदिर भी है । जहाँ हर साल मेला लगता है । आप वाराणसी आये है तो शाम को अस्सी घाट की गंगा आरती को देखने जरुर जाये । माँ गंगा आप पर कृपा करे ।
मणिकर्णिका घाट वाराणसी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल बनारस में घूमने की जगह
इस घाट के चारो तरफ केवल मंदिर ही मंदिर दिखेगा । यह एक ऐसा घाट है जहाँ 24 घंटे चिताएं जलती ही रहती है । बहुत से लोगो कि यह चाह भी रहती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर ही हो क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहाँ जलाये गए शवों को सीधे मोक्छ कि प्राप्ति होती है ।
रामनगर किला : बनारस में घूमने की जगह
यह एक बहुत ही प्राचीन किला है ।जो की वाराणसी से लगभग 14 किलोमीटर दूर गंगा के तट पर स्थित है । इस किले का निर्माण साल 1750 मे काशी नरेश बलबन्त सिंह ने करवाया था । यह किला काशी नरेश क निवास स्थान हुआ करता था ।

वर्तमान मे इस किले के महाराजा अनंत नारायण जी रहते है ।यह किला मखन के रंग वाले चुनार बालू पत्थर से निर्मित है । किले मे कुल चार बड़े गेट है जिसमे पूर्व कि ओर बना लाल दरवाजा इसका मुख्य गेट है । इस किला में कुल 1010 छोटे-बड़े कमरे है और 7 आंगन भी है । इसके अलवा इस किले मे एक संग्राहलय भी है ।
चुनार का किला :Varanasi Me Ghumne Ki Jagah
बनारस शहर से 23 किलोमीटर दूर मिर्ज़ापुर जिले मे गंगा नदी के तट से बिलकुल सटा हुआ एक पहाड़ी पर स्थित है यह किला । इस किले का निर्माण उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य ने अपने बड़े भाई राजा भथारीके के सम्मान मे करवाया था ।
सारनाथ का बौद्ध स्तूप – Varanasi Me Ghumne Ki Jagah
: सारनाथ बौद्ध धर्म के उन चार प्रमुख स्थलों मे से एक है जो की बहुत ही जय्दा पवित्र है । यह वाराणसी से 15 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित हैं ।भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद इसी स्थान पर अपना पहला उपदेश दिया था ।जिसे ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ कहा जाता है । दुनिया से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग यहाँ आते है । और पूजा अर्चना कर अपनी भक्ति भावना को प्रकट करते है । यहाँ सारनाथ मे धम्मेक स्तूप, चौखड़ी स्तूप, मुलाकधप कुटी कई मंदिरे भी है । जिनमे लोग पूजा और अपनी श्रद्धा भक्ति प्रकट करते है ।
बनारस मे प्रसिद्ध साड़ी की दुकान बनारस सिल्क एम्पोरियम
आप अगर बनारस आये है और कम दामो मे बनारसी साड़ी खरीदने कि सोच रहे है तो छावनी रोड पर स्थित बनारस सिल्क एम्पोरियम जो एक प्रसिद्ध थोक व्यापारी हैं । उनसे सस्ता और अच्छे कोई नहीं दे सकता । ये दुकान पुरे वाराणसी में प्रसिद्ध है ।
बनारस का खान पान
वाराणसी के मुख्य व्यंजनों मे लॉन्ग लता भी है । यह मैदे से बना होता है जिसमे की खोया भरकर घी मे छाना जाता है । इसको जरूर से आपको खाना चाहिए । इसके अलावा टमाटर चाट, म्लाइयों, ठंढाई और बनारसी लस्सी भी है । जिसमे केला,आम,अनार, सेब और रबड़ी मिला कर फ्लेवर बनता है । बनारसी पान तो पुरे भारत मे फेमस है ।आप बनारस आये है तो एक पान तो बनता ही है यहाँ आपको हर तरह के पान मिल जायेंगे किन्तु गुलकंद वाला पान सबसे जादा पसंद किया जाता है ।
बनारस घुमने का सबसे अच्छा समय
चुकी गर्मिया के मौसम में गर्मी का अधिक पड़ने के कारण वाराणसी को ठंडे के मौसम में अधिक से अधिक लोग घूमने आते है । यहां Nov से Feb महीने के बिच का समय इस समय बनारस का मौसम हल्का ठंडा होता है जो की घुमने के लिये काफी अनुकूल है ।
निष्कर्ष
इस पोस्ट के माध्यम से मैंने आपको वाराणसी से जुड़े तमाम विषय पहलु को आपके सामने रखा आशा करते है ये पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगा ।
इस पोस्ट में मैंने आपको वाराणसी में घूमने की जगह के बारे में जानकरी दिया , इस पोस्ट को पढ़ के आप वाराणसी में घूमने की जगह के बारे में जान जायेगे ।
इस पोस्ट को पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद !! पोस्ट को शेयर जरूर करे ।
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