kalyug kab khatm hoga: कई हजार वर्ष पूर्व भी भागवत में शुकदेव जी ने जिस बारीकी से और विस्तार से कलियुग का वर्णन किया है, वह हमारी आंखें खोलने के लिए काफी है। आज सब तरफ उसी वर्णन के अनुसार घटनाएं घट रही हैं और आगे भी जो लिखा है वैसा ही घटेगा, ऐसा प्रतीत होता है।
तो दोस्तों, आइए मिलकर जानते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथों में कलियुग का क्या वर्णन मिलता है और यह कब और कैसे समाप्त (kalyug ka ant) होगा। इस लेख में हम सभी बातों को विस्तार से जानेंगे और कलयुग कब खत्म होगा इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
कलियुग यानी काला युग, कलह कलेश का युग। जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हो, वह युग ही कलियुग है। इस युग में धर्म का सिर्फ एक चौथाई अंश ही रह जाता है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व में हुआ था। श्रीमद् भागवत पुराण और भविष्य पुराण में कलियुग के अंत (kalyug ka ant kab hoga) का वर्णन मिलता है। कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा जो पापियों का संहार कर फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे।
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Kalyug Kab Khatm Hoga – कब होगा कलियुग का अंत?
3102 ईसा पूर्व। पाँच ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, वृहस्पति और शनि मेष राशि पर जीरो डिग्री पर हो गए थे। कलियुग तभी से प्रारंभ हुआ। अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा है। हमारे पुराणों में कलियुग की अवधि और यह समाप्त कैसे होगा, इसका व्यापक वर्णन किया हुआ है। कलियुग की अवधि 1200 दिव्य वर्ष बताई गई है। मनुष्य का एक महीना पितरों के एक दिन रात के बराबर होता है। वहीं मनुष्यों का एक वर्ष देवता के एक दिन रात के बराबर और मनुष्य के 30 वर्ष देवता के सिर्फ एक महीने के बराबर होते हैं।
कलियुग की अवधि 1200 दिव्य वर्ष ही बताई गई है। इस हिसाब से कलियुग का काल 4,32,000 साल लंबा चलेगा। इसका मतलब है कि कलियुग के अभी 3102 + 2023 = 5,125 वर्ष बीत चुके हैं और 4,26,875 अभी बाकि है। मनुष्य के 8,84,000 वर्ष, देवताओं के 2400 दिव्य वर्ष अर्थार्त एक द्वापर युग के बराबर होते हैं तो वहीं त्रेता युग 3600 दिव्य वर्ष का होता है जिसमें मनुष्य के 12,96,000 वर्ष आते हैं।
कलियुग बाकी सभी युगों से छोटा युग है। यहां एक द्वापर युग में 24 दिव्य वर्ष या फिर 8,64,000 मनुष्यों के वर्ष आते हैं। वहीं त्रेता युग में 3600 दिव्य वर्ष या फिर 12,96,000 मनुष्य वर्ष आते हैं। इसी क्रम में एक सतयुग 4,800 दिव्य वर्ष का होता है, जो मनुष्यों के हिसाब से 17,28,000 वर्षों के बराबर है। इन सबका कुल 12,000 दिव्य वर्ष, जो मानव के हिसाब से 43,20,000 वर्षों के बराबर है, मिलकर एक महायुग बनाते हैं।
कलियुग के अंत में क्या क्या होगा?
सबसे पहले तो यह होगा कि मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी। पाँच वर्ष की छोटी उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेंगी। 16 वर्षीय मनुष्य वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष की आयु में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। इंसान का शरीर घटकर बोना हो जाएगा। ब्रह्मवैवर्तपुराण में बताया गया है कि कलयुग में एक ऐसा समय आएगा जब मनुष्य का आयु बहुत कम हो जाएगा, यहां तक की युवा अवस्था खत्म हो जाएगी।
कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे। जिस समय भगवान कल्कि इस धरती पर अवतरित होंगे, उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष रह जाएगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे, चारों वर्णों के लोग शूद्र के समान हो जाएंगे। गौमाता भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएंगी।
उस वक़्त मनुष्य क्या खाएगा?
कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली मांस ही खाएंगे और भेड़ बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी, होगी भी तो बकरी के समान। वह दूध देना भी बंद कर देगी। एक समय ऐसा आएगा जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल लगना बंद हो जायेगा और धीरे धीरे ये सारी चीजें पृथ्वी पर से हो जाएंगी।
कलियुग के अंत में कैसा होगा मनुष्यों का स्वभाव?
स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी और वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। जिसके पास धन होगा, उसी के पास स्त्रियां रहेंगी। मनुष्यों का व्यवहार गधों जैसा दुख सह केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा। लोग विषय हो जाएंगे। धर्मकर्म का लोप हो जाएगा। मनुष्य जब रहित नास्तिक व चोर बन जाएगा।
सब एक दूसरे को लूटने में लगे रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। भीड़ में लोग आएंगे और एक मनुष्य की जान ले लेंगे। जो लोग बलवान होंगे, उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई अपने ही भाई का शत्रु बन जाएगा। एक हाथ दूसरे हाथ को लूटेगा।
पिता पुत्र का और पुत्र पिता का वध करने में भी संकोच नहीं करेंगे। अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी बड़ी बातें बनाएंगे, किंतु समाज में उनकी निंदा नहीं होगी। इन सब बातों को सुनकर ऐसा लगता है मित्रों मानो वर्तमान की बात ही लिखी गई हो।
कलियुग के अंत में कैसा होगा मनुष्य का धर्म?
कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों को पसंद आएगा। बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जाएंगे। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देंगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।
महाप्रलय कैसे होगा?
बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग के अंतिम समय में बहुत मोटी मूसलाधार बारिश होगी जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल ही जल होगा। इसके बाद एक साथ 12 सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से यह। सूख जाएगी। कलियुग के अंत में भयंकर तूफान और भूकंप आएंगे।
लोग अपने घर में नहीं रह पाएंगे, इनको गड्ढे खोदकर रहना पड़ेगा। धरती की सतह का तीन हिस्सा अर्थात लगभग साढ़े चार फुट नीचे तक धरती का उपजाऊ अंश ख़तम हो जाएगा। महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा।
महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्रों और नदियां सूख जाएंगी। संवत्सर का नाम की अग्नि धरती को पूरी तरीके से जलाकर राख कर देगी। इसके बाद लगातार 12 वर्षों तक बारिश होती रहेगी और पूरी धरती जलमग्न हो जाएगी। इसके बाद फिर से धरती पर जीवन प्रारंभ होगा।
निष्कर्ष:
तो दोस्तों, आज हमने कलियुग की कई ऐसी बातों को जाना जिन्हें देखकर बहुत आश्चर्य तो नहीं होता लेकिन जैसे जैसे कलयुग आगे बढ़ता जाएगा और भी ज्यादा पाप, ज्यादा द्वेष और अधर्म इस धरती पर बढ़ता जाएगा। लेकिन मानवता जीवित रहेगी और उसे जिंदा रखेंगे वो चंद लोग जो धर्म और नैतिकता का रास्ता नहीं छोड़ेंगे। आशा करता हूं कि इस लेख (Kalyug Kab Khatm Hoga) & (kalyug ka ant kaise hoga) के द्वारा आपको अच्छी जानकारी मिली होगी और कलयुग से जुड़ी सभी बातों को आप विस्तार से जान पाए होंगे। उम्मीद करता हूँ की यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को पढ़ने के बहुत बहुत धन्यवाद।
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