Last updated on January 16th, 2023 at 09:29 pm
Essay on pollution in hindi-पोलुशन आज के समय में सबसे गंभीर मुद्दों में से एक है। और सभी लोग इससे निजात पाना चाहते है, हालांकि सरकार और इससे सम्बंधित संस्थाओ ने भी पोलुशन की समस्याओ को प्राथमिकता दी है ताकि जल्द से जल्द इससे छुटकारा मिल सके और लोग इन समस्याओ से परेशान ना हो।
जैसे ही प्रदूषण लोगो को हानि पहुंचाने लगा वैसे ही बहुत सारे लोगो में इसे लेकर जागरूकता बढ़ गयी और वे इस विषय में जानकारी लेने लगे। साथ ही वें इस विषय के बारे में अपने छोटे बच्चों को भी जानकारी देने लगे है। और स्कुल और शिक्षण संस्थाओ में भी छात्रों को इस विषय में पढ़ाया जा रहा है।
आज का हमारा Essay on pollution in hindi (प्रदूषण में हिंदी निबंध) पर होगा। ये निबंध उन बच्चों के लिए भी है जों इस विषय को गंभीरता पूर्वक लेते है और इसके विषय में जानने के लिए तत्पर रहते है। तो अगर आप ‘प्रदूषण पर निबंध’ को ढूंढ़ रहे है तो आपके लिए ही ये लेख हमने बनाया है, पूरी जानकारी के लिए अंत तक बने रहिये –
Table of Contents
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)
Preface (प्रस्तावना/भूमिका)
हमने अक्सर आपने दादा जी या पापा को इस बारे में बात करते हुए सुना होगा की आज की दुनिया कितनी बदल गयी है, इसके साथ ही वे बताते है की उनके समय की बात तो कुछ और ही थी। अगर वे इन बातो को कर रहे है तो वे अपने ज़माने के सारे पहलुओं को बताते है। और उन पहलुओं में तकनीकी विकास को बताते है, आधुनिकता को बताते है ये तो ही गयी अच्छी बातें, लेकिन वे इसके साथ ही ये भी बताते है की उनके ज़माने के वातावरण कितना साफ और सुरक्षित था जिसका आभाव आज के ज़माने में दिखता है।
इसके अलावा आपने भी महसूस किया होगा की जब आप बचपन में कही पर भी सफर करते थे तो हर तरफ पेड़ पौधों का भंडार यानि की चारों तरफ ही हरियाली दिखती थी। लेकिन अगर आप आज के समय में उसी रास्ते से सफर करते है तो उस हरियाली की अनुपस्थिती जरूर दिखती होगी या फिर अगर आप हरियाली देखते भी है तो पहले की तुलना में कम दिखती है।
इसके अलावे अगर पेड़ पौधों की बात छोड़ दे तो आप अपने आस पास वाहनों की संख्या में हो रही वृद्धि को भी देख रहे होंगे। पहले के ज़माने में साइकिल का उपयोग किया जाता था, जों की प्रदूषण तो नहीं करते थे साथ ही लोगो को स्वस्थ भी रखते थे। और कुछ गिने चुने घरों में स्कूटी या फिर मोटर बाइक्स हुआ करती थी, वहीं अगर आज के समय में देखा जाये तो लगभग हर एक घर में मोटर साइकिल या कार है।
फिर अगर एक और पहलू की देखा जाये तो पुराने ज़माने में गाँवों में जों तालाबे या फिर नदियाँ हुआ करती थी वे साफ सुथरा होती थी और साफ सुथरा होने के कारण की नदियों या तालाब का पानी पिने योग्य होता है। लेकिन वहीं आज के ज़माने में नहाने के बाद, कपड़े धोने के बाद, या फिर किसी भी प्रकार के अपशिष्ट जलो को नालो के माध्यम से तालाबों या फिर नदियों में गिरा दिया जाता है जिससे की ये नदी या फिर तालाबे प्रदूषित हो जाती है।
लेकिन ये करने का एक और मुख्य कारण है जनसंख्या, क्योकि बढ़ी हुई जनसंख्या ने जगह को घेर लिया है जिससे अपशिष्ट पदार्थो को फेकने के लिए जगह नहीं बची है इसीलिए उन्हें नदियों या फिर तालाबों में समाहित कर दिया जाता है। हालांकि वर्त्तमान समय में विभिन्न तकनिको का भी उपयोग किया जा रहा है इन अपशिष्ट के निदान के लिए। अतः ये सारे उन पहलुओं को दर्शाते है जिनके द्वारा प्रदूषण की उत्पत्ति होती है।
प्रदूषण के मुख्य कारण –
पर्यावरणीय क्षति :- पर्यावरणीय क्षति से हमारा तातपर्य पेड़ पौधों की हो रही अंधाधुंध कटाई से है। आज के समय में लोग अपने फायदे के लिए पेड़ पौधों की बहुत मात्र में कटाई कर रहे है। अपने फायदे का मतलब इनको काटकर बेचना, जलाना, घर बनवाना इत्यादि हो सकता है। अतः अगर पर्यावरण को ब सुरक्षित करने वाले पेड़ पौधों की कटाई हो तो ये प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक हो जाता है।
वाहनों की संख्या :-
जैसे की ऊपर बताया गया है की वर्तमान समय में परिवहन के लिए वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा हो गयी है और इन वाहनों को ऊर्जा देने के लिए पेट्रोल या फिर डीजल का उपयोग किया जाता है। और यही डीजल या पेट्रोल जब जलता है तो फिर धुआँ छोड़ता है जिससे की वायु प्रदूषण काफ़ी अधिक मात्रा में फैलता है। इसके अलावा भी अगर देखा जाये तो गाड़ियों के हॉर्न भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है इसके द्वारा ध्वनि प्रदूषण फैलता है। इसीलिए बढ़ती हुई वाहनों की संख्या भी प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है।
अपशिष्ट पदार्थ :-
प्रदूषण का अगला कारण अपशिष्ट पदार्थ है क्योकि आजकल के उपयोग किये हुए जल जों की प्रदूषित हक गए है उनको नालो के द्वारा नदियों में गिराया जाता है जिससे की नदियाँ प्रदूषित हो जाती है।
उर्वरक का उपयोग :-
अभी जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए फसलों का उत्पादन ज्यादा करने की जरूरत है जिसके लिए उर्वरको का उपयोग किया जाता है। और ये उर्वरक भी एक प्रकार से प्रदूषण का कारण है क्योकि इनसे मृदा प्रदूषण होता है।
DJ अथवा वाद्य यंत्र :-
आपने इस बात को नोटिस किया होगा की आजकल शादी या फंक्शन में बड़े बड़े डीजे साउंड वगैरह आते है जिनसे की ध्वनि प्रदूषण होता है।
उद्योग :-
और प्रदूषण का एक और मुख्य कारण उद्योग है जिनसे वाहितमल जल (दूषित जल) एवं धुआँ निकलता है जों की वायु एवं जल प्रदूषण दोनों का कारण है।
प्रदूषण से नियंत्रण के उपाय
• पेड़ पौधों का बचाव :-
अगर हम प्रदूषण से छुटकारा पाना चाहते है तो हमारे लिए सबसे पहला कर्तव्य होता है भारी मात्रा में पेड़ पौधों की बुआई करना इसके साथ ही जितने भी पौधे है उनकी रक्षा करना उन्हें काटने से बचाना है। ये सबसे पहला कदम होना चाहिए प्रदूषण से बचाव के लिए।
• अपशिष्ट पदार्थ का नियोजन :-
दूसरा बचाव का उपाय है अपशिष्ट पदार्थ का नियोजन। जितने भी गंदे जलो को नदियों में बहाया जाता है उनका उचित नियोजन अनिवार्य है। वैसे आजकल इसके लिए विभिन्न प्रकार से तकनीक का सहारा लिया जा रहा है जैसे जहाँ से अपशिष्ट जल को नदी में गिराया जाता है वहाँ मशीन लगाकर अपशिष्ट जल को साफ कर दिया जाता है।
• इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग :-
अभी के दौर में अगर देखा जाये तो वाहनों के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है इसीलिए पेट्रोल या डीजल चलित वाहनों का ना हटाकर उनके स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए।
• उर्वरको का कम उपयोग :-
उर्वरक प्रदूषण के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य को दूसरे प्रकार से भी नुकसान पहुंचाते है। इसीलिए संस्थाओ को उर्वरको के जगह पर अन्य साधन का उपयोग लर ध्यान देना चाहिए जों कम प्रदूषण के साथ स्वास्थ्य को भी कम हानि पहुचाये।
• वाहितमल जल का निदान :-
शहरों में बड़े बड़े उद्योग से जों दूषित जल निकलते है उन्हें ही वाहितमलजल कहा जाता है। अतः उन जलो का निदान करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रदूषण के प्रकार –
प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है लेकिन वर्तमान समय में एक और प्रदूषण को लिस्ट में शामिल किया गया है आईये आज उसे जानते है –
1. वायु प्रदूषण :-
शहरों के उद्योग से निकले धुआँ या फिर पराली जलाकर जों धुआँ निकलता है उससे हमारे पर्यावरण में वायु दूषित हो जाता है। इसके साथ ही कूड़ा कचरा जमा होने से भी उनके दुर्गन्ध से वायु गन्दा हो जाता है। इस प्रकार के प्रदूषण को ही वायु प्रदूषण कहते है।
2. जल प्रदूषण :-
घर के अपशिष्ट पदार्थो को जब नालो के माध्यम या फिर कूड़े कचरे को वाहनों के द्वारा नदियों या फिर तालाबों में गिराया जाता है, जिससे जल दूषित हो जाता है तो इस प्रकार के प्रदूषण को जल प्रदूषण कहते है।
3. ध्वनि प्रदूषण :-
वाहनों में लगे हॉर्न या फिर फंक्शन में लाये गए बड़े बड़े डीजे या फिर बम विस्फोट इन सभी से तेज ध्वनि उतपन्न होती है जिससे की ध्वनि प्रदूषण होता है।
4. मृदा प्रदूषण :-
अभी हाल में प्रदूषण के प्रकारों में चौथे प्रकार को जोड़ा गया है जिसे मृदा प्रदूषण के नाम से जानते है। उसमे फसल उत्पादन के लिए विषक्त उर्वरको का उपयोग किया जाता है तो मृदा दूषित हो जाती है और ऐसे प्रदूषण को मृदा प्रदूषण कहते है।
Conclusion :-
इस आर्टिकल में हमने प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in hindi) & पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के विषय में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की। जिसमे हमने जाना की प्रदूषण के कारण, प्रदूषण के रोकथाम के उपाय, प्रदूषण के प्रकार इत्यादि। उम्मीद है प्रदूषण पर निबंध के विषय में आपको पूरी जानकारी मिली होगी।
FAQ : Essay on Pollution in Hindi
Q- वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है?
Ans- यह दैनिक रूप से वायु प्रदूषण को नापने का तरीका होता है।
Q- प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) हिंदी में कैसे लिखें?
Ans- आप इस पोस्ट को पढ़ कर प्रदूषण पर लेख/ निबंध को लिख सकते है।
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