बैडमिंटन के नियम (Badminton Rules in Hindi), फायदे, जानकारी- शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए, शारीरिक व्यायाम आवश्यक है। लेकिन अगर सिर्फ व्याम की बात की जाये तो बहुत सारे लोग इससे पीछे हट जाते है क्योकि उन्हें व्यायाम में मनोरंजन नहीं दिखता है। लेकिन जब भी किसी खेल की बात होती है खासतौर पर फिसिकल गेम्स की तो ये ऐसे साधन होते है जिनमें मनोरंजन के साथ साथ शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। और क्योकि खेलों में भरपूर मनोरंजन होता है इसीलिए इसे खेलने वाले लोग बिना किसी हिचकिचाहट के और बड़े मन से खेलते है।

किसी भी व्यक्ति को जों फिजिकल गेम्स खेलता है उन्हें अतिरिक्त व्यायाम की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे लोगो का व्यायाम खेल के साथ ही हो जाता है। और वे चुस्त-दुरुस्त भी रहते है। आज खेल की बात इसलिए ज्यादा हो रही है क्योकि आज का हमारा ये लेख आपको खेल जगत के एक बहुत ही मनोरंजक और फुर्तीले खेल की जानकारी देगा।
आज के जानकारी भरे लेख में हम About Badminton Game in Hindi के बारे में जानेंगे। साथ ही हम बैडमिंटन के नियम (Information About Badminton In Hindi), बैडमिंटन के फायदे, बैडमिंटन खेल की पूरी जानकारी (Information About Badminton In Hindi)के बारे में भी जानेंगे। अगर संयुक्त रूप से बात करे तो इस लेख में हम बैडमिंटन के नियम, फायदे, जानकारी के बारे में विस्तार से जानेंगे। अगर आप इसी विषय जानकारी चाहते है तो इस लेख के साथ अंत तक बने रहिये –
Table of Contents
Badminton खेल क्या है? (Badminton Game Details in Hindi)
वैसे तो शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने Badminton के बारे में नहीं सुना होगा। अन्य बड़े गेम्स जैसे क्रिकेट, फुटबॉल की तरह ही बैडमिंटन एक प्रचलित खेल है। जिसे पुरे विश्व भर में बहुत लोकप्रियता से खेल जाता है। इस खेल को मुख्य रूप से दो व्यक्ति एक दूसरे के विपक्षी बनकर या फिर 2-2 व्यक्ति के दो ग्रुप्स में खेलते है। ग्रुप में खेलने का मतलब है की एक टीम में दो व्यक्ति होते है साथ ही विपक्ष में भी दो व्यक्ति होते है। और दोनों टीम एक दूसरे के विरोध में खेलते है।
बैडमिंटन एक प्राचीन खेल है। जों बहुत पुराने समय से चला आ रहा है। और सबसे रोचक बात ये है की ये खेल भारत से ही जुड़ा हुआ है। कैसे? इस सवाल का जवाब हम आगे बैडमिंटन के इतिहास (Badminton Game History in Hindi) में देंगे। जानने के लिए अगले पैराग्राफ को आवश्य पढ़े –
बैडमिंटन के इतिहास (Badminton Game History in Hindi)
बैडमिंटन का अविष्कार 19वीं सदी के मध्य में हुआ था। जिसे ब्रिटिश अधिकारियो से भारत के पूना (वर्तमान में पुणे) में पहली बार खेला था। इस प्रकार इस लोकप्रिय खेल का सम्बन्ध भारत से है। क्योकि इस खेल का विकास पूना में हुआ था,इसलिए इसे “पूनाई खेल” भी कहते है। वैसे तो पहले इस खेल को उन से बने हुए गोले से खेला जाता था, लेकिन धीरे धीरे इस खेल का विकास हुआ और फिर शटलकॉक (सामान्य भाषा में कॉर्क) ने उन के गोले की जगह ले ली। और तब से ही शटलकॉक का इस्तेमाल बैडमिंटन के खेल में उपयोग होता है।
चुकि बैडमिंटन में शटलकॉक होता है जों की पंखो से बनी होती है इसीलिए ज्यादा हवा खेल को बिगाड़ सकती है। इसीलिए इस खेल को इंडोर खेल के रूप में खेला जाता है। लेकिन मनोरंजन के लिए इस खेल को बहुत सारे लोग अपने गार्डन में भी खेलते है।
भारत में तैनात ब्रिटिश सैन्य अधिकारी इस खेल को खेलते है लेकिन उस वक्त इस खेल के लिए कोई भी नियम निर्धारित नहीं की गयी थी। बाद में जब सैनिक छुट्टी या फिर रिटायर्ड होने के बाद ब्रिटेन वापस गए तो वहाँ पर इस खेल का विस्तार हुआ और बैडमिंटन के लिए नियम निर्धारित की गयी।
अगर बैडमिंटन के नियम के इतिहास की बात करे तो सबसे पहले लंदन के एक खिलौना विक्रेता इसहॉक स्प्राट ने “बैटलडोर – एक नया खेल” नमक पुस्तक में इस खेल के नियमों की चर्चा की थी। लेकिन इसहॉक स्प्राट ने इस पुस्तक का संस्करण नहीं किया था जिस कारण इसकी केवल एक ही कॉपी प्रकाशित हुई थी और इसका विस्तार ना हो पाया। बाद में इंग्लैंड के ही ड्यूक के मालिकाना हक वाले “बैडमिंटन क्लब” में इस खेल को खेला गया और नियम बनाये गए।
हालांकि तबतक भी पुरे नियम निर्धारित नहीं किये गए थे बाद में इंग्लैंड के गवर्नमेंट में अपने हाथो में इस खेल को लिया और खेल को अपने अनुसार इंग्लिश नियमों में ढाला और नियम निर्धारित किये गए। सन् 1887 में बैडमिंटन के लिए बुनियादी नियम बनाये गए। सन् 1899 में इंग्लैंड के उच्च अधिकारियो ने “ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप” का आयोजन किया जों पहला बैडमिंटन चैंपियनशिप था।
अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ (International Badminton Foundation) को सन् 1934 में स्थापित किया गया था। ये कनाडा, डेन्मार्क, इंग्लैंड, फ्रांस, नीदरलैंड, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स इसके संस्थापक थे। भारत सन् 1936 में एक सहयोगी के रूप में इसमें शामिल हुआ। BFW अब अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खेल को नियंत्रित और विकसित करता है
बैडमिंटन में उपयोग होने वाले यन्त्र :-
बैडमिंटन में कुछ सामग्रीया होती है जिन्हे खेल के दौरान उपयोग में लाया जाता है वे कुछ इस प्रकार है – 2 रैकेट (दोनों खिलाड़ियों के लिए) एक शटलकॉक (कॉर्क) एक नेट।
बैडमिंटन के नियम के इतिहास की चर्चा ऊपर हो चुकि है अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा की वे कौन कौन से नियम है जिसे इस खेल के लिए निर्धारित किया गया था वे, कुछ इस प्रकार है –
बैडमिंटन खेल खेलने के नियम – (Badminton Rules in Hindi)
सभी खेलों के कुछ ना कुछ नियम जरूर होते है। ऐसा कोई भी खेल नहीं है जों की बिना नियम के होता है। ऐसे में बैडमिंटन के नियम (Badminton ke Niayam) भी कुछ होंगे आईये उन्हें जानते है –
• सर्विस :- इस शब्द से हमारा अभिप्राय शटलकॉक को रैकेट के सहारे अपने विपक्ष की ओर फेकना होता है। सर्विस से सम्बंधित अन्य नियम इस प्रकार है –
1. जिस खिलाड़ी द्वारा सर्विस दिया जा रहा है मतलब जों खिलाड़ी रैकेट से शटल को दूसरे पक्ष में मारेगा तब शटल की ऊंचाई खिलाड़ी के कमर से ऊपर होनी चाहिए।
2. शटल को रैकेट से एक बार में ही मारकर दूसरे खिलाड़ी के साइड पहुंचाना होता है ऐसा नहीं करने पर सामने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट मिल जाता है।
3. सर्विस देते वक्त शटल नेट से नहीं टकराना चाहिए अगर शटल किसी भी तरह नेट को टच कर जाता है फिर चाहे आपके साइड गिरी हो या दूसरे के साइड में सामने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट मी जाता है।
4. दोनों साइड में अंतिम रेखा सबसे पीछे की तरफ होती है। सर्विस देने वाले खिलाड़ी को उस अंतिम रेखा के अंदर ही सर्विस देना होता है। अगर शटल अंतिम रेखा के बाहर गिरे तो सामने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट मिलता है।
• स्कोर नियम :- इसमें स्कोर या फिर कहे अंक से सम्बंधित नियम निर्दीष्ट किये जाते है जों कुछ इस प्रकार है –
1. दोनों पक्षो के लिए एक निर्धारित अंक रखा जाता है। वो अंक 5,10,15… कुछ भी हो सकता है। जों खिलाड़ी इस अंक को सबसे पहले प्राप्त करता है वो विजेता होता है।
2. अंको को प्राप्त करने का मतलब है की जैसे 14 अंक निर्धारित किये गए है तो जों खिलाड़ी 16 अंक पहले कर लेगा वो विजेता होगा। विजेता बनने के लिए निर्धारित अंक से एक अंक ज्यादा प्राप्त करना होता है।
• शटल सम्बंधित नियम :- इसमें हम कॉर्क से सम्बंधित नियमों की चर्चा करेंगे जों कुछ इस प्रकार है –
1. यदि आप कॉर्क को सामने वाले खिलाड़ी के कोट के अंदर ही गिरा देते है तो आपको एक अंक की बढ़त मिलेगी।
2. यदि आप कॉर्क को सामने वाले के कोट के बाहर गिराते है तो इससे सामने वाले खिलाड़ी को ही अंक मिलेगा।
3. यदि किसी भी प्रकार कॉर्क आपके कोट में गी जाती है तो सामने वाले खिलाड़ी को एक अंक की बढ़त मिलेगी।
4. किसी भी खिलाड़ी के शरीर से अगर कॉर्क टच हो जाता है तो सामने वाले खिलाड़ी को एक पॉइंट मिलेगा।
• कोट सम्बंधित नियम :-
कोट की पूरी चौड़ाई 6.1 mitre और एक पक्ष की चौड़ाई(Width) 5.18 mitre होती है। कोट की सम्पूर्ण लंबाई 13.4 mitre होती है। सर्विस कोट के मध्य में एक रेखा कोर्ट की चौडाई को विभाजित करती है । नेट से 1.98 mitre की दूरी पर शॉर्ट सर्विस रेखा (Short Service Line) होता है। ग्रुप खेल में, सर्विस कोर्ट एक लंबी सर्विस लाइन द्वारा चिह्नित होती है, जो अंतिम सीमा से 0.78 mitre की दूरी पर होती है। नेट किनारों पर, 1.55 mitre और बीच में 1.52 mitre ऊंचा होता है।
• राउंड सम्बंधित नियम :-
इसमें साधारण तौर पर बैडमिंटन को तीन राउंड में खेला जाता है और उसमे से 2 या दो से अधिक राउंड जितने वाला पक्ष विजेता होता है।
बैडमिंटन के फ़ायदे :-
जैसा की ऊपर ही बताया जा चूका है की बैडमिंटन एक फिजिकल खेल है इसीलिए इस खेल को खेलने से सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम हो जाता है। साथ ही इस खेल को खेलने से शरीर फुर्तीला बना रहता है। और अतिरिक्त कसरत की भी जरूरत नहीं होती।
निष्कर्ष (Conclusion) :-
इस लेख में हमने आपको बैडमिंटन खेल की सम्पूर्ण जानकारी (Badminton Game Details in Hindi) के बारे में जानकारी दी है साथ ही इसी लेख में आपको बैडमिंटन के नियम, फायदे, जानकारी दी है। आशा करते है आपको बैडमिंटन से सम्बंधित सारे सवालों के जवाब मिल गए होंगे ऐसे ही और जानकारी भरे लेख के लिए हमारे साथ बने रहिये।
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