हर हर महादेव !!!!! क्या आप जानते है 12 jyotirling ka naam & 12 Shivling Ke Naam के बारे में ??? इस पोस्ट में हम आपको 12 jyotirling ka naam को बतायेगे , साथ ही ऐसी पोस्ट में 12 jyotirling ke naam with place के बारे में भी बतायेगे ।

जैसा की हम सभी जानते है , शिवपुराण के अनुसार भारत से नेपाल तक कुल 64 ज्योतिर्लिंग है , जिनमे १२ ज्योतिर्लिंग के बारे में आपको इस पोस्ट में बतायेगे। कृपया इस पोस्ट को पूरा पढ़े जिससे आपको पूरा ज्ञान मिल सके ज्योतिर्लिंग के विषय में ।
बहुत से लोग नहीं समझ रहे की ज्योतिर्लिंग क्या होता है तो उनको बता देता हु , यह भगवान शिव का प्रतीक रूप होता है। भारत में हिमालय से लेकर रामेश्वरं तक ज्योतिर्लिंग है।
चलिए इस पोस्ट की शुरुवात करते है और जानते है सभी 12 jyotirling ke naam with place & 12 jyotirling ke naam aur jagah के साथ उनके , आशा करते है ये पोस्ट आपको आपकी जानकरी को बढ़ाने में मदद करेगा। 12 jyotirling ka naam
Table of Contents
12 Shivling Ke Naam – 12 Jyotirling Ke Naam Aur Jagah
चलिए जानते इस पोस्ट में उन सभी ज्योतिर्लिंग (12 Shivling Ke Naam) के बारे में:-
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात – (12 Shivling Ke Naam)

यह भारत के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर मौजूद ज्योतिर्लिंग है , इस ज्योतिर्लिंग का उल्लेख महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि जैसे धार्मिक ग्रंथ में मिलता है। शिवपुराण के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग पर चंद्र ने भगवान शिव की पूजा करके प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप से मुक्ति पाई थी। बहुत लोग को नहीं मालूम लेकिन बता दे चंद्र का दूसरा नाम सोम है इस लिए इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कहा गया।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश

इस ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव और माता पार्वती का जुड़ा हुआ रूप माना जाता है , इस ज्योतिर्लिंग के नाम में मल्लिका का अर्थ पार्वती हुआ और अर्जुन का अर्थ शिव हुआ। यह भारत के दक्षिण के राज्य आंध्रप्रदेश में है। इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण के कैलास के नाम से भी जाना जाता है।
शिवपुराण के अनुसार भगवान गणेश के प्रथम विवाह होने से भगवान कार्तिक नाराज हो कर क्रोंच पर्वत पर चले गए थे , सभी देव देवताओ के विनती करने पर भी जब कार्तिक भगवान वापस नहीं आये तब भगवान शिव और माता पार्वती खुद क्रोच पर्वत पर चले गए थे। भगवान शिव के आगमन होने से कार्तिक भगवान वहाँ से दूर चले गए , तब भगवान शिव और माता पार्वती ज्योति रूप धारण कर वहीँ विराजमान हो गये ताकि पुत्र के दर्शन हो सके।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

यह ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश में है। यह ज्योतिर्लिंग शिप्रा नदी के तट के निकट है। ऐसा कहा जाता है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर स्थापित एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है। शिवपुराण के अनुसार रत्नमाल पर्वत पर एक दूषण नाम का राक्षस था , उस राक्षस को भगवान ब्रम्हा जी से वरदान मिला हुआ था , जिसके कारण ब्राह्मण को पूजा पाठ करने से रोकता था।
तब सभी साधु मुनि लोग भगवान शिव की पूजा अर्चना करने लगे , जिसके बाद भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए और उस राक्षस का विनास किया। उसके बाद साधु मुनि लोगो ने भगवान शिव से वही रहने की अर्चना की तो भगवान शिव वहाँ ज्योति रूप में रह गए उसके बाद इस जगह का नाम महाकालेश्वर पड़ गया और जिसे हम महाकालेश्वर ज्योतिलिंग के नाम से जानते है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

यह ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश में है , ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पवित्र नर्मदा नदी के तट पर है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में शिवपुराण के अनुसार मन्धाता द्वीप के राजा मान्धाता ने अपनी प्रजा के सुख शांति के लिए तथा मोक्ष के लिए तपस्या कर भगवान शिव से यही विराजमान होने का वरदान मांग लिया था , उसके बाद ही भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव विराजमान हो गए। यह पूरा जगह ॐ के आकर का है। जिस कारण ही इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड

यह ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तराखंड राज्य में है , यह ज्योतिर्लिंग अलखनंदा और मंदाकिनी नदी के तट पर है। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय के केदार नामक पर्वत छोटी पर है। यह मंदिर ३ तरफ से पर्वत से घिरा हुआ है। शिवपुराण के अनुसार नर और नारायण ऋषि हिमालय के केदार श्रृंग में तपस्या करते थे। उन्ही के तपस्या से खुश होकर भगवान शिव प्रकट हुए थे। उनके विनती के भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में उस स्थान पर रहने का वरदान दिए।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य में है। यह महाराष्ट्र के पुणे शहर से 110 किलोमीटर दूर डाकिनी नामक स्थान में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार कुंभकरण और कर्कटी के पुत्र का नाम भीम था , वो कुंभकरण के मरने के बाद देवताओ से बदला लेने के लिए व्याकुल था। उसके लिए भीम ने भगवान ब्रम्हा से वरदान प् कर और ताकतवर हो गया था। एक बार उसने कामरुपेश्वर नाम के राजा को भगवान शिव के पूजा करते देख लिया , उसके बाद वो शिवलिंग को तोड़ने लगा , उसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए , और अंत में भीम मोक्ष को प्राप्त हुआ।
उसके बाद देवताओ के अनुरोध पर भगवान शिव वही शिवलिंग में रहने लगे।
बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश

यह बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में है। यह उत्तरप्रदेश के वाराणसी शहर में है। ऐसा कहा जाता है ये शहर जिसको पुराने समय काशी भी कहा जाता था , यह काशी शहर भगवान शिव के त्रिसूल पर बसा हुआ है। साल ११९४ में मुहम्मद गौरी ने मंदिर को लूटने के बाद इसे पूरी तरह से थोड़ कर बर्बाद कर दिया था। आज के समय का मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने साल 1780 में करवाया था। उसके बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने साल 1853 में 1000 किलोग्राम सोने का क्षत्र बनवाया था। इस मंदिर के साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद भी है जिसे मुगल शासक औरंगजेब भव्य मंदिर को थोड़ कर बनवाया था।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य में है। यह महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर से ३० km दूर स्थित है। इस मंदिर के बारे में मन्यता है की शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है। कहने का मतलब है की इस ज्योतिर्लिंग को किसी ने नहीं स्थापित नहीं किया था। त्र्यबंकेश्वर मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं , इन पर्वत को ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में एक गड्ढे में ३ शिवलिंग है। इन शिवलिंग को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

इन मंदिर को वैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड राज्य में स्थित है। यह शिवलिंग रावण के द्वारा दबाये जाने के कारण भूमि में दबा हुआ है। इस ज्योतिर्लिंग के मूर्ति की ऊँचाई लगभग ग्यारह अंगुल है। शिवपुराण के अनुसार रावण भगवान शिव को लंका ले जाने के लिए कठिन तप किया और भगवान शिव जी को प्रसन्न होने पर वरदान के रूप में कामना हेतु शिवलिंग को मांगा। प्रभु शिव बात मान गए, इसके साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रख दी। और कहा की अगर तुमने शिवलिंग को कहीं रास्ते में रख दिया, तो तुम उसे दोबारा उठा नहीं पाओगे।
जिस कारण से सभी देवी-देवता चिंतित हो गए और भगवान shri विष्णु के पास पहुंचे।तब भगवान विष्णु ने वरुण देव को रावण के पेट में जाने को कहा ,जिस कारण से रावण को देवघर के पास लघुशंका का अहसास हुआ फिर रावण ने बैजू नाम के ग्वाले को शिवलिंग पकड़ाकर लघुशंका करने लगा ,बैजू रूप में भगवान विष्णु ने मौके का फायदा उठाते हुए शिवलिंग को वही जमीन पर रख दिया। जिस कारण से इस जगह का नाम बैजनाथ धाम पड़ गया।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात

यह भारत के गुजरात राज्य के में है। नागेश्वर मंदिर जो की गुजरात के द्वारका में है। नागेश्वर का मतलब नागो का ईश्वर होता है। इस शिवलिंग की नामकरण खुद प्रभु भोलेनाथ के इक्छा से हुआ ऐसा माना जाता है। पुराने कहानियो के अनुसार सुप्रिय भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।
सुप्रिय हमेशा भगवान शिव की आराधना में लगा रहता था लेकिन दारुक नामक एक राक्षस को यह पसंद नहीं आता था वो चाहता था वो ऐसा नहीं करे ,राक्षस ने सुप्रिय को बंदी बना लिया और कारागार में बंद कर दिया। लेकिन सुप्रिय कारागार में भी भगवान शिव की पूजा-आराधना करने लगा , जिससे वो गुस्सा हो कर मारने का आदेश दिया। इसके बाद भगवान शंकर कारागार में ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए। शिव जी ने सुप्रिय को अपना पाशुपत-अस्त्र प्रदान किया जिससे राक्षस दारुक तथा उसके सैनिकों का वध कर सुप्रिय खुद शिवधाम को चला गया।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु

यह भारत के तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में है ,यह पूरी तरह से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। यह वही जगह है जहा से भगवान राम ने राम सेतु का निर्माण करके लंका पर आक्रमण किया था।
लेकिन ये सभी कार्य करने से पहले भगवान शिव की पूजा अर्चना भी किये थे ,इसके लिए राम भगवान ने खुद अपने हाथ से शिवलिंग को बालू से बनाया था , फिर भगवान शिव ज्योति स्वरुप प्रकट हुए ओर उन्होंने इस लिंग को श्री रामेश्वरम नाम दिया , उसके बाद इस शिवलिंग को काशी विश्वनाथ के समान मान्यता देनेे हेतु, भगवान राम ने हनुमानजी को काशी से एक शिवलिंग लाने कहा। हनुमान जी द्वारा लाये गये शिवलिंग को भी वहीँ स्थापित किया गया यह शिवलिंग रामनाथ शिवलिंग कहलाता है। आज के समय में भी दोनों शिवलिंग मंदिर में स्थापित हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

यह ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य में है। यह महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास है। पुराने कहानी के अनुसार सुधर्मा नामक एक ब्राह्मण जिसकी पत्नी का नाम सुदेहा था , लेकिन दोनों की कोई संतान नहीं थी , सुदेहा के कहने पर सुधर्मा ने उसकी छोटी बहन से शादी कर लिया , उसकी छोटी बहन जिसका नाम घुश्मा था , वो भगवान शिव की बड़ी भक्त थी। घुश्मा को जल्द ही पुत्र की प्राप्ति हुई , लेकिन उसकी बड़ी बहन के मन में बुरे विचार आने लगे , वो ऐसा सोचने लगी उसने मेरे पति पर भी अधिकार कर लिया , और वो पुत्र भी मेरा नहीं है।
फिर वो एक दिन घुश्मा के पुत्र को मार देती है और लाश को नदी में फेक देती है , लेकिन घुश्मा इन सब से अनजान रोज की तरह भगवान शिव की पूजा में लग्न रहती है। पूजा खत्म होते है ही उनका पुत्र वापस आ जाता है , ठीक उसी समय भगवान शिव भी प्रकट होते है ,और घुश्मा से वर मांगने को कहा , और वे उसकी बड़ी बहन के कार्य से गुस्से में थे , लेकिन घुश्मा ने ने हाथ जोड़कर भगवान् शिव से अपनी बहन को क्षमा करने और लोक-कल्याण का वर माँगा जिसको भगवान ने मान लिया।
रहता था। उसकी पत्नी का नाम था दोनों के बीच बहुत प्रेम था लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी। ज्योतिष के अनुसार सुदेहा के गर्भ से संतानोत्पत्ति नहीं हो सकती थी। सुदेहा को पुत्र प्राप्ति की बहुत इच्छा थी इसलिए उसके बहुत आग्रह करने पर सुधर्मा ने सुदेहा की छोटी बहन घुश्मा से दूसरा विवाह कर लिया। घुश्मा शिवजी की परम भक्त थी और हर रोज 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनका पूजन करती थी। उन्हें एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई।
बालक जवान हो गया अब उसका विवाह भी हो चुका था। पूरा परिवार बहुत ही खुशहाल जीवन जी रहा था लेकिन कुछ समय बाद सुदेहा के मन में एक कुविचार ने जन्म ले लिया। वह सोचने लगी, मेरी तो संतान नही है, और घुश्मा के पास पुत्र है और उसने मेरे पा लिया है। यह कुविचार धीरे-धीरे उसके मन में बढ़ने लगा। एक रात सुदेहा ने पुत्र की हत्या कर दी और उसके शव को उसने उसी तालाब में फेंक दिया जिसमें घुश्मा प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंगों को विसर्जित करती थी।
सुबह पता चलने पर पूरे घर में कोहराम मच गया। लेकिन घुश्मा नित्य की भाँति भगवान् शिव की आराधना में तल्लीन रही। शिवलिंग विसर्जन के बाद उसका पुत्र वापस तालाब से जीवित निकल आया। भगवान शिव भी प्रकट हुए और और वे सुदेहा कृत्य से क्रुद्ध थे। घुश्मा के लिए उस स्थान पर सर्वदा के लिए निवास करने का वर माँगा। भगवान् शिव ने उसकी ये दोनों बातें स्वीकार कर लीं।
FAQ :- 12 Jyotirling Ka Naam &12 Jyotirling Ke Naam with Place
Q- 12 ज्योतिर्लिंग के नाम क्या क्या है?
Ans-
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
Q- भारत में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?
ANS- 12 ज्योतिर्लिंग
Q- भारत में 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ हैं?
ANS- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
निष्कर्ष
आज के अपने इस पोस्ट में हमने आपको 12 ज्योतिर्लिंग के नाम क्या है & 12 Jyotirling Ke Naam with Place (12 Shivling Ke Naam) के बारे में बताया , आशा करते है ये पोस्ट आपके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद !!!!
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